वही जिंदगी, वही लोग
सब कुछ तो है पुराना
फिर किस बात का नया साल
फिर क्यूँ खुशियाँ मनाना..
हर दिन मुस्कुराते रहो
छोड़ो 2023 का बहाना...
नफरत है मुझे अपनेपन से, नफरत है अपनापन दिखाने बालों से l
मैंने चाहा था बो इज्जत के साथ अपने घर लौटे,
पर उन्हें तो बेइज्जती पसंद थी l
कि लोगों ने इतना परेशान कर दिया
हमेशा शांत रहने बाली लड़की
आज चिल्ला चिल्ला कर बोल रही है महफिल में
कुछ लोग कमीने होते हैं
कुछ ज्यादा कमीने होते हैं
पर मुझे कमीनो का बाप बनना है
मेरी अच्छाई दुनियां बालों से देखी नहीं जा रही l
थक गयी हूं अब जिंदगी से
ठहरना चाहती हूं l
गुमनाम सी हो गयी है जिंदगी
कुछ नाम बनाना चाहती हूँ l
दाँस्ता-ए जिंदगी कुछ ऐसी है
हसने का मन नहीं
और रो सकते नहीं l
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काश जिंदगी इन ब्लैंक्स की तरह होती,
और भरने के ऑप्शन मेरे l
कभी कभी जिंदगी बड़ी अधूरी सी लगती है l