ग़ज़ल
ग़ज़ल
तेरा साथ मिला जब से तो जीवन मेरा संवर गया।
जीवन भर का साथ है यह एहसास मुझको हो गया।।
तेरी एक नजर ने क्या जादू किया मुझ पर।
भीड़ भरी इस दुनिया में अनजान खुद हो गया।।
तुम बिन अब तक अधूरी थी मेरी ये जिंदगी।
तुम क्या आए जिंदगी में तुम्हारा ही हो गया।।
कोई भी न पूछता था ऐसी थी मेरी हस्ती।
मोहब्बत जो तुमसे मिली मजनू मैैं हो गया।।
अंधेरी सी थी मेरी जिंदगी सूझता था न कुछ भी।
प्रेम प्याला जो तुमने पिलाया मदहोश मैं हो गया।।
न थी तमन्ना जीने की हंसता था ये जग सारा।
तुम्हारी रस भरी बातों का दीवाना मैं हो गया।।
इंसानों में न थी गिनती खुदगर्ज मुझको कर दिया।
बना दिया "नीरज" को इंसान कुर्बान तुम पर हो गया।।