साधना पथ की बाधाएँ
साधना पथ की बाधाएँ
आओ आज गुरु की वाणी में ,
साधना पथ की बाधाएँ बतलाते हैं,
बिन इनके प्रभु दर्शन हैं दुर्लभ,
जो नित सत्संगी पर आते हैं ।
प्रथम बाधा व्याधि है कहलाती,
दिल औ दिमाग खाली हो जाते,
मन एकाग्र कभी वो कर न पता,
अपनी करनी पर फिर वह पछताता ।
दूसरी बाधा निज स्वार्थ है कहलाती,
माया बंधन में फँसते ही जाते,
एक काम जब उसका बन जाता,
दूजे कर्मों में सकल जीवन कट जाता ।
जन्म लिया था जिस कारण उसने,
भूल जाता प्रभु चिंतन करने को,
संशय वस उस तक पहुं
च न पता,
तब तक जीवन यूं ही कट जाता ।
तीजी बाधा प्रमाद और आलस्य कहलाती,
निज शरीर में प्रतिपल रोग लगाते,
योग साधना से नित जी चुराता,
आत्मज्ञान को कभी जान न पाता ।
चौथी बाधा अविरत और भ्रांति कहलाती,
बेगरज कीमती समय यूं ही गवाते,
श्रद्धा विश्वास कभी गुरु पर न लाता,
बिन सतगुरु भव सागर गोते खाता ।
पंचम बाधा दुःख और प्रबल इच्छा कहलाती,
स्मरण-प्रार्थना प्रभु की कर न पाता,
खुद की करनी पर बड़ा ही पछताता,
नीरज, फिर भी गुरु यशगान है गाता ।