पतझड़ सावन बसंत बाहर
पतझड़ सावन बसंत बाहर
एक बरस के मौसम चार
पतझड़ सावन बसंत बाहर
आता है सबको मजा
सर्दी लगती जैसे मिली है सजा
अपनी अपनी सबकी होती पसंद
आखिर करना क्यों है नापसंद
रंगीले है ये मौसम
और मन में इनका कोहराम
चलो सोचते है कुछ ताज़ा
जिंदगी तो जनाब है मजा
सर्दी के मौसम की कैसे तारीफ करू
दीदार या प्रेम करू
पसंद में आता है
अव्वल दर्जे पाता है
सर्दी की सुबह होती निराली
जल्दी ठंडी हो जाती चाय की प्याली
बारिश में नहाते झूम के
फिर बैठते कंबल ओढ़ के
चारो ओर है हरियाली
बसंत है सबसे प्यारी
पतझड़ है ज्ञानवान
बताती जीवन है बलवान
कहने को ये सब है पाँच
हरदम चलते हमारे साथ।