STORYMIRROR

निशान्त "स्नेहाकांक्षी"

Abstract

4  

निशान्त "स्नेहाकांक्षी"

Abstract

सियासत छोड़ो, मोहब्बत करो !

सियासत छोड़ो, मोहब्बत करो !

1 min
583

सूखे पत्ते पर हरियाली की एक साख की तरह,

झड़ते पलाश पर, गुलमोहर सुर्ख लाल की तरह !


सियासत की आग में वीरानगी बची राख की तरह,

कभी पैगाम-ए-मोहब्बत भी बांटों, एक इंसान की तरह !!


राम रहीम को अब मत बांटों, धधकती आग की तरह,

दफना दो ये धर्म की पाटें, बेअसर ख़ाक की तरह !


कब तलक पिसोगे धर्म गुरुओं के चंगुल में, चक्की की पाट की तरह,

मोहब्बत दो, मोहब्बत लो, प्यार बांटों इंसान की तरह !


साहित्याला गुण द्या
लॉग इन

Similar hindi poem from Abstract