सियासत छोड़ो, मोहब्बत करो !
सियासत छोड़ो, मोहब्बत करो !
सूखे पत्ते पर हरियाली की एक साख की तरह,
झड़ते पलाश पर, गुलमोहर सुर्ख लाल की तरह !
सियासत की आग में वीरानगी बची राख की तरह,
कभी पैगाम-ए-मोहब्बत भी बांटों, एक इंसान की तरह !!
राम रहीम को अब मत बांटों, धधकती आग की तरह,
दफना दो ये धर्म की पाटें, बेअसर ख़ाक की तरह !
कब तलक पिसोगे धर्म गुरुओं के चंगुल में, चक्की की पाट की तरह,
मोहब्बत दो, मोहब्बत लो, प्यार बांटों इंसान की तरह !