एक आखिरी कोशिश...
एक आखिरी कोशिश...
शीतल मन्द मन्द हवा चल रही थी,
लहलहाते फूल और मतवाली झूमती पत्तियां,
पर मेरे चेहरे तक पहुंच नहीं रही थी शीतल पवन,
कुछ रोड़ा बना खड़ा था बीच में !
एक शख्स, मेरा हमशक्ल,
मेरी ही काया लिए हुए,बनकर खड़ा था बाधा,
मेरे और उस शीतल पवन के आलिंगन के मध्य !
धुंधली शख्सियत लिए, दिखा रहा था मेरा अतीत,
कल किए गए मेरे कुछ असफल प्रयासों को,
मेरे सामने आईने में,
कुछ और भी अधूरे प्रयत्न, अतीत के झरोखों से,
जो किए तो थे पर छोड़ दिए थे अधूरे थक कर,
निराश, हताशा और असफलता के डर से,
उन पन्नों को दर्पण बना खींच लाया था
वो शख्स मेरे समक्ष,दिखाने मुझे आईना !
यदि थोड़ी कोशिश और भर देते,
तो पा लेते इस शीतल पवन का सुखद अनुवाद,
राह का रोड़ा, वो सिर्फ़ थोड़ी सी कसर थी,
जो भर लेते, तो शीतलता चूम लेती माथे को,
सुख भरे आलिंगन के साथ !
वो सिर्फ एक आखिरी कोशिश ही तो थी,
जो शीतल पवन पहुंचने से रोक रही तुम तक !
शीतल पवन का वो हमशक्ल आईना
जो दिखा गया अपनी ही सूरत,
और कह गया हौसलों के पंखों को है
बस थोड़े और साहस की जरूरत !
