मां की कहानी
मां की कहानी
नींद मुझे तब आती है, जब सर पे हो उसका हाथ,
ज़िन्दगी और भी बेहतर हो जाती है, जब पास में हो उनका साथ।
आंखों में आसूं आते है, तड़प जाता है दिल उसका,
और होंठों की मुस्कान से, खिल जाता है संसार उसका।
हमारी हर छोटी ख्वाइश को पूरा कर देती है,
खुद के गम को छुपाकर, हमें अपनी आंचल म छुपा लेती है।
पल भर की देर हो तो, बेचैन हो जाती है,
हमें चैन से सुलाकर, सरी रात जाग जाती है।
गमों की आहट भी नहीं आने देती है,
हमें थोड़ी चोट लग जाए, तो वो खुद भी रो देती है।
सूर्य की रोशनी जब आंखों को, चकाचौंध कर जाती है,
उसका आंचल उस वक़्त भी, हमें शीतल कर जाती है।
भूख की गर्मी जब हमें बेताब कर जाती है,
उसके हाथों की रोटी, हमें सुकून पहुंचा जाती है।
उसके दर्द को हम कभी समझ नी पाते है,
अपनी खुशी के लिए, उसको गैरत कर जाते है।
भूल जाते है उसकी हर एक लोरी को,
और ऐसे ही बड़ा देते है हम इस दूरी को।
उसने कभी कुह नहीं मांगा हमसे ज़िन्दगी में,
बस थोड़ी सी चाहत और प्यार, उसकी बंदिगी मे।
वो ना होती तो शायद तू भी ना होता,
उसके बिना तू जीवन की आहट ना सुनता।
ज़िन्दगी बीत जाती, यूं ही रोते रोते,
अगर सही समय पे उसके हाथ हमारे सर पे ना होता।
