STORYMIRROR

Brajesh Bharti

Tragedy

3  

Brajesh Bharti

Tragedy

बेटी

बेटी

1 min
186

ये आतिश जमाने की लगाई है

कि कहते है बिटिया पराई है

कहते है काट दो पर इसके ये बहुत उड़ रही है

 इधर उधर ये कुछ जादा ही फुदक रही है

कर दो कन्या दान पीले करो हांथ इसके

दफ़न करो सारे अरमान इसके

करो ब्याह ये सम्भल जाएगी 

बहू बन के जब ये अपने घर जाएगी 

पढ़ने की उम्र में ये घर की जीमेदारिया उठाएगी

मां बनेगी जब तब सयानी हो जाएगी

लोगो की परवाह की बाप ने

बेटी का तनिक ख्याल ना आया 

बिदा किया बेटी को 

अरमानों का कतल कराया

आसू उसके लहू के कतरे

इन बातो को कोई समझ ना पाया

 जब घोटना था युं गला ही उसका 

 तो कोख में ही क्यों ना मार गिराया!


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy