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Nalanda Satish

Abstract Tragedy

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Nalanda Satish

Abstract Tragedy

नसीब

नसीब

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चाहे जितने खराब हो हालात उम्मीद मत खोना

बड़ी मुश्किल से मिलती हैं जिंदगी, जाया नहीं होने देना


करामात पर उसकी कभी शक मत करना

नीयत हो साफ गर जिसकी, जाम खाली नहीं होने देता


अपने पांव के काँटे खुद ही निकालना सिख लो

दर्द अपने गुलिस्तां में बसंत का कोई मौसम नहीं होने देता


माँगने से किसे मिला यहाँ फूलो का गुलदस्ता

नसीब का खेला चाहकर भी रंग नहीं जाने देता


हिकारत से मत देखो किसी लाचार इंसान को

जब आती बारी उसकी, दरवाजे को खोलकर नहीं देखता


नज़र है कुदरत की अपनी हर शै पर 'नालन्दा'

प्यार से मिलनेवालों की ख़ुशी कम नहीं होने देता



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