तोड़ दूँ रस्मो रिवाज......
तोड़ दूँ रस्मो रिवाज......
तोड़ दूँ
रस्मों रिवाज
या फिर
जागना छोड़ दूँ
भूला सा
हूँ कुछ नहीं
पर अब
याद कुछ नही
खामोश हैं
ये निगाहें मेंरी
पर मेंरे
नैनो में है आग सी
पल पल
टूटता मै रहा
न जाने क्यों
अब तलक झुका नहीं
बात ये
सिर्फ तुम्हारी नही
इस में है
हर स्त्री की जिंदगी
माफी मै
सबसे पहले मांगता हूँ अभी
बात है
इज्ज़त पर
और
इज्ज़त करना मुझको
खुद आता नही
शर्मिंदा हूँ या शर्मिंदा नहीं
जान कर भी अंजान बन सकता नही!