दिसंबर की सर्द होती शामें....
दिसंबर की सर्द होती शामें....
दिसंबर की सर्द होती शामें
और तेरी गली में मेरा जाना
इश्क़ था या इश्क़ में थे हम
मुश्किल है कुछ भी कह पाना
बस सुकून दे जाता था वो
खिड़की पे आ तेरा मुस्कुराना
न मिलन की कोई आस थी
न तुझे पाने की इच्छा खास थी
काफी था मेरे लिए जिंदगी में
तेरा अंजान की अंजान कहानी का
इक खूबसूरत किस्सा बन जाना
अच्छा लगता था तेरा खिड़की पे
आ मुस्कुराना.....
दिसंबर की सर्द होती शामें
और तेरी गली में मेरा जाना.....