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निखिल कुमार अंजान

Inspirational

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निखिल कुमार अंजान

Inspirational

हारा नहीं....

हारा नहीं....

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यूँ तो मै टूटा बोहत पर हारा नहीं

बाप की नसीहत थी किसी को पुकारा नहीं

अपने ही माखौल उड़ाते रहे हमारा

पर उस ओर मुझको देखना गवारा नहीं

जिंदगी से जंग बदस्तूर चलती रही

हम भी ढीठ थे पीछे कदम खीचना

फितरत का हिस्सा हमारा नहीं

लक्ष्य की ओर निगाहों को साध लिया 

जो ठान लिया सो ठान लिया

खुद से खुद का वादा है कि

अब पीछे मुड़कर देखना दोबारा नहीं

के मै टूटा बोहत पर हारा नहीं

बाप की नसीहत थी किसी को पुकारा नहीं......


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