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Sanskriti Kumari

Abstract Inspirational

4.8  

Sanskriti Kumari

Abstract Inspirational

हौसला

हौसला

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किस्मत की कोई तू बात मत कर 

हाथों की लकीरों में क्या रखा है 

बंद नहीं मुट्ठी की रेखाओं में वरना

बिना हाथ वालों का तकदीर कहाँ रखा है 


बुझा जो दिया दोष नहीं आँधियों का

इन हवाओं ने ही बाती जला रखा है

रास्ते के मुश्किलों को कोसना कैसा 

इन परेशानियों ने हौसला जागा रखा है 


घूमता है काबा काशी तलाश में उसके

क्या तूने रूह में भी ईश्वर बसा रखा है 

इंसानियत की इबादत कर के देख बन्दे 

क्यूँ पत्थर पूज के ख़ुदा बना रखा है


मत सोच अकेला नहीं कर सकता कुछ तू 

देख जुगनुओं ने तन्हा ही अंधेरा मिटा रखा है 

वो समझे साथ चले काफिला हर मुकाम तक

जिसने हवाओं में ताश का महल बना रखा है 

 

चंद तारे ही तो टूटे हैं सपनों की आसमान से 

किस लिए एक हार पे अपना सर झुका रखा है 

समेट हिम्मत चल दे नये मंज़िल की ख़ातिर 

अभी तो जीतने को पूरा ख्वाबों का जहां रखा है 



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