Sanskriti Kumari

Inspirational

3  

Sanskriti Kumari

Inspirational

हौसला

हौसला

1 min
575


किस्मत की कोई तू बात मत कर

हाथों की लकीरों में क्या रखा है

बंद नहीं मुट्ठी की रेखाओं में वरना

बिना हाथ वालों का तकदीर कहाँ रखा है 

बुझा जो दिया दोष नहीं आँधियों का

इन हवाओं ने ही बाती जला रखा है

रास्ते के मुश्किलों को कोसाना कैसा

इन परेशानियों ने हौसला जागा रखा है 


घूमता है काबा काशी तलाश में उसके

क्या तूने रूह में भी ईश्वर बसा रखा है

इंसानियत की इबादत कर के देख बन्दे

क्यूँ पत्थर पूज के ख़ुदा बना रखा है

मत सोच अकेला नहीं कर सकाता कुछ तू

देख जुगनुओं ने तन्हा ही अँधेरा मिटा रखा है

वो समझे साथ चले काफिला हर मुकाम तक

जिसने हवाओं में ताश का महल बना रखा है


चंद तारे ही तो टूटे हैं सपनों की आसमान से

किस लिए एक हार पे अपना सर झुका रखा है

समेट हिम्मत चल दे नये मंज़िल की ख़ातिर

अभी तो जीतने को पूरा ख्वाबों का जहां रखा है

 

 



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational