जादू का शंख
जादू का शंख
कोई जादू का एक शंख बजाओ,
या सोनपरी का जादुई पंख ले आओ,
जो नफ़रत की द्वार शिला गिरा दे,
मज़हब की झूठी परत मिटा दे,
रंगों में बंटते इंसानों में,
तिरंगे की एकता सिखा दे
फूलों से निकले कोई कबूतर ऐसा,
शांति दूत बन रंग दे ऐसा,
एक इंसान, एक हो रंग,
एक जाति, एक हो ढंग,
जादू की ऐसी छड़ी भी लाओ,
हर एक माँ की उमर सौ साल बढ़ाओ,
सारी सड़कें सारे मकाँ पे आओ,
शांति सुकूँ की परत चढ़ाएँ!
दिलों की दूरी छू मंतर कर जाएँ,
प्यार भरा एक राष्ट्र बनाएं!
काले जादू से नफ़रत की गाँठों को,
ऐसी कोई नज़र लग जाए,
खुले तो सिर्फ प्यार की गाँठें,
घृणा की साँसे थम सी जाएँ ।
