शब्दों में है जादू
शब्दों में है जादू
जादू जब बातों में हो,
तो सारे ख़्वाब मंसूब है।
संयमित शब्द मधुर शब्द का प्रयोग,
किसी जादू से कम नहीं होता है।
किन्हीं के उपदेश का असर,
मुझ पर जादू जैसा हुआ है।
मैं पहले बहुत ख़राब था,
गुरुजी के ज्ञान से अब मैं बहुत अच्छा हूं।
तो जादू तो होंठों पे विराजता है,
शब्दों के रुप में बाहर आता है।
प्यार भरे शब्द से तो,
बड़े_बड़े मामले सुलझाए जाते हैं।
मतलब सही मार्ग का चयन,
जादू जैसा चमत्कार देता है।
जादू सिद्धांत पर काम करता है,
फिर मनवांछित फल देता है।
देखा जाये तो सम्पूर्ण सृष्टि ही,
एक जादू सा ही प्रतीत होता है।
जादू एक कला है,
कला ज्ञान से प्राप्त होता है।
सही ज्ञान हमें,
अवश्य जादूगर बनाते हैं।
जादू कोई अदृश्य बात है,
ऐसा बिल्कुल ही नहीं है।
जादू का अंश तो प्रत्येक में,
अपने आप से मौजूद रहता है।
सिर्फ़ और सिर्फ़ जरूरत है,
जादू बाहर लाने की ज्ञान का।
सादगी भरा आचरण हो,
हृदय में सुन्दर भावनाओं की वास हो।
फिर ऐसे में हरेक कदम, हरेक कर्म,
जादू सा ही हो जाता है।
काफ़ी प्रभावी, असरकारक,
शक्तियां प्राप्त हो जाती है।