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SANDIP SINGH

Classics

4  

SANDIP SINGH

Classics

गज़ल

गज़ल

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बहर:_2212,2212,2212

क़ाफिया:_आनी/जानी

रदीफ:_चाहिए

मिसरा:_शब्दों की महफ़िल भी सजानी चाहिए।


मन में सदा सुन्दर रवानी चाहिए,

रस्मों सभी को खुद निभानी चाहिए।


जोशों भरा बातें हमें पसन्द लगे,

मन में सदा पुलकित जवानी चाहिए।


प्रीती हमें सब से सदा रखना पड़े,

प्रभु में हमें मन को लगानी चाहिए।


नजरों भरी झलकें मिले तो दिल खुशी,

मन से खुशी सब को दिखानी चाहिए।


फूलों भरे खत नव मिला मुझको मित्रों,

अब दिल नहीं यों ही दुखानी चाहिए।


नज़रों भरी सेवन करूं मैं जाम का,

अब प्रेम की अद्भुत कहानी चाहिए।


कुछ यार को मन की गमों को मैं कहूं,

कुछ वक्त को मिलकर बितानी चाहिए।


प्रण कर चलूं कुछ तो करूं यह गान कर,

नित ही खुशी को हस मनानी चाहिए।


मिल कर रहें सब जन सदा संदीप से,

दिल से हमें दिल को लगानी चाहिए।


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