मैजिक
मैजिक
जादू नहीं पाना ये मंजिल
पानी है मंजिल,पानी है मंजिल ठानी है हमने ,
पर पानी है कैसे, न जानी है हमने।
नहीं करेंगे की है अब तक बहुत नादानी हमने,
अब जाना, खुद से की है कितनी बेमानी हमने।
जो पूछा किसी से, क्या कमियाँ हैं हममे ,
तो बोले ये कमियाँ अब ना रहेगी तुममे।
तरक्की की शुरुआत अब कर दी हैं तुमने ,
सुधार ही तो है, जो सोचा क्या कमियाँ है हममे|
ये कमी कहाँ, जो हैं कमियाँ तुममे,
ये कमी तुम्हारी, जो मानी ना कमियाँ तुमने।
चाह होगी जो, ढूँढने की कमियों की तुममे,
होके रहेंगी हरहाल, दूर कमियाँ ये तुमसे।
............क्योंकि............
जादू नहीं पाना ये मंजिल,
दो दिन में न पाई मंजिल किसी ने।
एक-एक कदम यूँ बढ़ाओ आगे,
यूँ ही पाई मंजिल सभी ने।
सबक ये सफर सिखा देगा ,
जो सिखाया होगा न किसी ने।
रमा दिया जो पाने को मंजिल ,
फ़तेह जंग होगी बताया सभी ने।