झुका दूँगा अब सबको चाहे आए क़यामत। झुका दूँगा अब सबको चाहे आए क़यामत।
कविता के आरंभ में अपनी नाकामियों, असफलता में होती झुंझलाहट को हराते हुए कवि एक नए हौसले के साथ आगे ब... कविता के आरंभ में अपनी नाकामियों, असफलता में होती झुंझलाहट को हराते हुए कवि एक न...
न जीत सके मुझसे कोई मैं शहंशाह बन जाऊँगा। न जीत सके मुझसे कोई मैं शहंशाह बन जाऊँगा।
मार दो छक्का जीत की लिख देनी फिर से एक कहानी है। मार दो छक्का जीत की लिख देनी फिर से एक कहानी है।
इस ज़िन्दगी में मुहब्बत यूँ ही बेवजह नहीं मिलती। इस ज़िन्दगी में मुहब्बत यूँ ही बेवजह नहीं मिलती।
हम भी क्या करते,किस सोच में पड़ते, क्या अपने ही ख़्वाबों से लड़ते? हम भी क्या करते,किस सोच में पड़ते, क्या अपने ही ख़्वाबों से लड़ते?