मैं शहंशाह
मैं शहंशाह
दुनिया को आज हरा हूँ,
अपने संग जीत लाया हूँ।
सब प्यादों को तोड़ दिया है,
फतह का जश्न साथ लाया हूँ।
जो समझते थे मुझको,
काफिर ही बनाएंगे।
आज उनके ही शह से,
धरती उनकी छीन लाया हूँ।
यहाँ पर गुलिस्ता बनाऊंगा,
अपनी जन्नत बसाऊंगा ,
न जीत सके मुझसे कोई
मैं शहंशाह बन जाऊँगा।