STORYMIRROR

PRATAP CHAUHAN

Abstract

3  

PRATAP CHAUHAN

Abstract

नजर

नजर

1 min
226

लग जाये दुआ, ना लगे नज़र ।

करता हूं कामना प्रत्येक प्रहर ॥


चिलमन से देख लूँ शहर-शहर ।

उन नव किरणों की सरस लहर ॥


बन जाऊं मैं एक युगल पथिकI

ना राह में आए कोई भंवर॥


राह सुगम जीवन को सफलI

मंज़िल है, जहां खुशियों का शहर॥



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract