प्यार को पाकर
प्यार को पाकर
घनघोर घटायें देख-देख,
सावन का महीना बीत गया।
कोई इंतजार में हार गया,
कोई प्यार को पाकर जीत गया।।
मैंने भी किसी को चाहा है,
लेकिन मेरी किस्मत देखो !
जो मीत मिला था सावन में,
बूंदों से डर लगता उसको।।
मैंने तो दीवानी बारिश की,
लेकिन नहीं उत्सुकता उसको।
क्यों मिलन नहीं हो पाया मेरा
बारिश से शिकायत है मुझको।।
इस बार नहीं हो पाया मिलन,
अब अगली बारिश कब होगी।
उम्मीद नहीं मैं छोडूंगी,
जब तक ना भीगेगा जोगी।।
झूले की रस्सी कर कसकर ,
संग मीत के झोटा लगाउंगी।
घनघोर घटा की बारिश में,
अपने अरमान मिटाऊँगी।