STORYMIRROR

PRATAP CHAUHAN

Abstract Classics Inspirational

4  

PRATAP CHAUHAN

Abstract Classics Inspirational

सहस्र वनिता

सहस्र वनिता

1 min
410

उस जोहर का भी मतलब है,

जिसमें न्योछावर एक युग है। 

अवनीश के एक महीसुर का,

कुंठित मन का घटिया छल हैI 


निर्लज्ज, हठेली, छुद्र एक,

वह राघव चेतन भूसुर था। 

जिसने ठाना क्षय राजन का,

यह बेमतलब कैसा प्रण थाI 


दानव दल का आघात देख आघात

वो बचा गई पतिव्रत का चित्र।

वपु निर्मल आबगीन जैसा,

वो पावन मन भी था विचित्र।I


स्वर्णिम अक्षर वर्णन करते, 

परित्याग, निडरता, पावनता। 

आहुति बनकर अग्निकुंड में,

अमर हो गई सहस्र वनिता।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract