अब-तब करना
अब-तब करना
अब-तब करना जिसकी आदत बन जाती है,
समझो उसके भविष्य की चाबी खो जाती है,
अपने हर काम को कल पर टाला करते जो,
उनकी किस्मत भी घोड़े बेचकर सो जाती है,
फिर लाख कोशिश करो नहीं जगेगी किस्मत,
क्योंकि मेहनत की तो आदत ही छूट जाती है,
आज थोड़ी मेहनत कर लो, कल अच्छा होगा,
इतनी छोटी सी बात समझ क्यों नहीं आती है,
यहाँ पे कौन से कल की तुम कर रहे हो बात,
वहीं जिसकी तो कभी बारी ही कहाँ आती है,
कर्म करो, छोड़ो अब-तब करने की ये आदत,
ज़िंदगी बार-बार किसी को मौका नहीं देती है,
नसीब है हमारा यह जो मानव तन हमें मिला,
जो सब जीवों में सर्वश्रेष्ठ संरचना कहलाती है,
ज़िन्दगी ने दिया है मौका लाभ उठाना सीखो,
आलस से नहीं यहाँ कर्म से पहचान बनती है,
अब-तब करते- करते एहसास भी नहीं होता,
पल दो पल की ये जिंदगी कब गुज़र जाती है,
अंत में केवल पछतावा ही रह जाता हाथों में,
न कोई पहचान और न ही मंजिल मिलती है।