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ritesh deo

Abstract

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ritesh deo

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वक्त हु मै

वक्त हु मै

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स्थिर नहीं हूं

चलायमान हूं

मैं पारदर्शिता 

कर्मप्रधान हूं

मैं वक्त हूं

चमकदार आकाश में

भरण-पोषण करती मैं

एक विनाशक तुफान भी हूं

बवंडर लिए आकाश को घेरती

मैं ज्वालामुखी आग हूं

मैं वक्त हूं

सुंदर प्रकृति अपने कैशों

में सजाए

मैं ऋतुराज हूं

मैं वंसत हूं

मैं पतझड़ को आवाज लगाती

परिवर्तन की विधान हूं

मैं वक्त हूं

एकांत को लिखती मैं

निर्धारित कुछ नहीं

मैं कम्रचक्र हूं

मैं वक्त हूं

शांत शालिन बहती मैं

एक आवेग हूं

स्थिर नहीं मैं चलायमान हूं

मैं उष्णता बरसाती

तो निर्धारित कर चुकी होती

जीवन दान हूं मैं बर्षा

मिटाती समताप हूं

मैं वक्त हूं

कम्रप्रधान हूं

स्थिन नहीं मैं

मैं तो सदैव से चलायमान हूं

मैं वक्त हूं।।



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