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Neha yadav

Abstract

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Neha yadav

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छू ना पायेगा फ़िर कोई कोरोना

छू ना पायेगा फ़िर कोई कोरोना

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अपनो के साथ हे गर तुमको जीना,

तो घर से तुम यू निकलो ना,

लक्ष्मण रेखा मान लो चौखट,

बाहर के सारे बन्द कर लो पट,

देश प्रधान का मान लो कहना,

छू ना पायेगा फ़िर कोई कोरोना,


घर से बहार ना कोई जिम ना कोई सुबह की सैर,

चार दिवारो मे ही पूरे परिवार की खैर,

मत सोचो कोई चाट का ठेला ओर चाय की टपरी,

रह जायेगी सारी होशियारी धरी की धरी,

कुछ दिन ना कोई नौकरी ना कोई धंधा,

जीवन अनमोल बाकी सब मंदा, 


देश प्रधान का मान लो कहना,

छू ना पायेगा फ़िर कोई कोरोना,

एक की गलती होगी लाखों पर भारी,

गर बाहर निकले तो फैलैगी महामारी,

माँ बहन से प्रेम जता लो,


बीवी बच्चों संग समय बीता लो,

सान्से ही सबसे बडी सम्पत्ति ,

जिसे बचाने को हे ये सख्ती ,

चिकित्सक पुलिस बल जान हथेली पर लिए है,

सब हमारे प्राणो की ही रक्षा के लिए हे,


इस वायरस के ईलाज का ना कोई शोध हे,

घर मे रहना ही अनुरोध हे,

जरुरतें याद रख शौक सारे भूलो ना,

विनती हे ठहर जाओ निकलो ना,

माँ भारती हे आस लगाये..

हिन्दुस्तान को हम बचाये,

इक्कीस साल पीछे ना जाएंगे,


ईक्कीस दिन घर मे रह जाएंगे.

चौदह बरस के वनवास बाद हुई दिवाली,

ईक्कीस दिनो के बाद होगी फ़िर खुशहाली

जनता का मुखिया अरज लगाये,

हाथ जोड़े ओर शीश झुकाये,

देश प्रधान का मान लो कहना,

छू ना पायेगा फ़िर कोई कोरोना।


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