बागबां का बेटा हृदय विशाल रखता
बागबां का बेटा हृदय विशाल रखता
उस बागबां का बेटा हृदय विशाल रखता है,
सब चैन से सो जाए सदा ख्याल रखता है,
वो भी एक आम इंसान होता है,
फिर भी एक अलग पहचान रखता है,
कोई डोर पतंग नहीं आसमान में तिरंगा लहराता है,
तभी तो सीमा का वो सैनिक वीर सपूत कहलाता है,
उसकी बीवी ना जाने कितने तीज त्योहार
बिन उसके मनाती है,
बच्चों की होली तो माँ की दीवाली आज भी
बिन उसके रह जाती है,
पर करोड़ो बहनों के सुहाग को दुश्मन से वो बचाता है,
भेदीयों से लड़ इस भारत माँ का सीना चौड़ा करता है,
सुबह दोपहर शाम तो क्या आधी रात में भी
आप हम जो ऐसी सुरक्षा पाते हैं,
ये नौजवान हर स्तिथि मे मुश्किलों से जनता की रक्षा
कर जाते हैं,
जब सुख की नींद में सोया होता है सारा इंदौर,
रात भर पहरेदारी से होती है ख़ुशियों की भोर,
सबको समान रक्षा देते ना देखते जात पात,
सदा डटकर खड़े रहते सर्दी गर्मी बरसात,
इन्हे ना सुबह देर करना है ना शाम को जल्दी जाना है,
हर हाल में बस जनता की जान को बचाना है,
लड़ते हैं जब कभी ना सोचते अपने प्राण का,
ख्याल करते हैं सिर्फ धरती माँ के सम्मान का,
फिर भी कभी शहिद हो तिरंगे मे लिपट जाती है वो जान,
गला फाड़ रोती नहीं अपनी कोख पर
करती ऐसी जननी अभिमान,
उस बागबां का बेटा हृदय विशाल रखता है,
सब चैन से सो जाए ये सदा ख्याल रखता है,