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Neha yadav

Abstract

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Neha yadav

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नारी शब्द बड़ा आसान है

नारी शब्द बड़ा आसान है

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नारी शब्द बड़ा आसान है,

अर्थ इसका बड़ा महान है,

जन्म से मृत्यु तक का जो उसका सफ़र है,

हम तुम मिलकर डाले जरा उसपर नजर है,

इक नन्ही सी परी का जब होता है आगमन्,


किलकारी से उसकी चहक उठता है घर आंगन,

कोमल कोमल पाँवो से जब पायल की झनकार होती है,

उसकी ईच्छाओ के लिए भी बडी ही मनुआर होती है,

पलक छपकते ही नाजुक गुडिया लडकी सयानी हो जाती है,


ओर धीरे धीरे बिदाई की घड़ी पास आ जाती है,

झटपट बाबुल की बिटिया से सास की बहु बन जाती है,

ओर मायके से डोली उठ साजन के घर पहुच जाती है,

नये रिशते नये बन्धन परिवार तो क्या वो तो नाम भी नया पाती है,


कुछ अरमानों को मारकर तो कुछ

उम्मीदों को अधूरा रख सम्भल पाती है,

फ़िर खुद की पहचान उसे खोई खोई सी लगती है,

पर अपने नैनो से सबके स्वपन पूरे

करना यही उसकी गजब कला होती है,


समय की आपाधापी में यौवन बीत जाता है,

बुजुर्गियत के साथ सब धुन्धला हो जाता है,

कैसे नन्ही परी बेटी, बहन, पत्नी, बहू और सास हो जाती है,

हर रिश्ते को बडी ही कला से निभा जाती है,

पुरुष को नारी की कला समझना होगा,


उसके हक का उसे पूरा सम्मान देना होगा,

गन्दी सोच के पुरुष का जब अन्त होगा,

तब असल में सव्छ मेरा भारत होगा,

कहा था ना नारी शब्द बड़ा आसान है,

पर अर्थ इसका बड़ा ही महान है।


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