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Neha yadav

Crime Others

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Neha yadav

Crime Others

जो सिर्फ औरत की अस्मत को चाहता

जो सिर्फ औरत की अस्मत को चाहता

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जो सिर्फ औरत की अस्मत को चाहता है,

नामर्द हो वो इंसानी जानवर बन जाता है,


वो क्या समझेगा किसी के सम्मान को,

कुकर्म कर हैरान करा उसने भगवान को, 


पाप कर नरक का अपना द्वार खुद सजाया है,

उस बेशर्म ने माँ की कोख तक को लजाया है,


जिसने किसी की सजी फुलवारी ऊजाडी है,

बनने से पहले ही किसी की तकदीर बिगाडी है,


कुछ मिनटों के शौक मे जो ये गंदी बाजी खेली है,

इंसानियत शर्मसार हो जाए ऐसी ना बनी कोई गाली है


परवरीश तो हर माँ-बाप की संस्कारी होती है, 

ऐसे क्रूरता से परवरीश सबसे पहले हार जाती है,


ना जाने कैसी फिर उस औलाद की गंदी सोच हो जाती है, 

दूध पीती बच्ची तक को जो मानसिकता नोच नोच खा जाती है,


जो सिर्फ औरत की अस्मत को चाहता है,

नामर्द हो वो इंसानी जानवर बन जाता है,


तड़पती बिलखती उस बेचारी के पास कोई रक्षक ना आता है,

कभी तो जन्मदाता ही ना जाने कैसे भक्षक हो जाता है,


हर सिस्कीयो में वो एक मौत मरती है,

इतना होने पर भी ना जाने कैसे मौन रखती है,


जो सिर्फ औरत की अस्मत को चाहता है,

नामर्द हो वो इंसानी जानवर बन जाता है,


ऐसे पुरुष बड़े कायर होते है,

मैदान ए जंग छोड़ 

औरत की आबरू से जो लड़ते है,


चीख पुकार के हथियारों से वो जीत ना पाती है, 

और उस इन्सानी भेडिये से मौत से बद्तर जिन्दगी पाती हे...

जो सिर्फ औरत की अस्मत को चाहता है...


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