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Krishna Bansal

Abstract Tragedy Crime

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Krishna Bansal

Abstract Tragedy Crime

स्मारक

स्मारक

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देखो-

वह स्मारक है 

उन बहुओं का 

जो दहेज की वेदी पर 

बलिदान हो गई 

कुछ स्वयं जल गई 

कुछ जला दी गई 

कुछ फंदा डालकर लटक गई 

कुछ लटका दी गई 

कुछ पीट-पीट पर मार दी गई 

कुछ कुओं में धकिया दी गई 

वीना, टीना, शालिनी और कांता

सुनयना, सुन्दरी, सुदर्शन और शांता

किस-किस का नाम गिनाए 

एक दो नहीं 

हजारों इस राह कूच 

करवा दी गई।


देखो-

वह स्मारक है 

उन कुवांरियों का 

जिनके मां-बाप अपनी

जवान बेटियों के लिए लड़कों का 

मोल नहीं चुका पाए 

शादी की प्रतीक्षा में ही 

वे बुढ़ा गईं 

कुछ विदेशियों के हाथ बेच दी गईं।

कुछ चकलों पर बिठा दी गईं।


देखो-

वह स्मारक है 

उन बदनसीब गर्भों का 

जिन्हें बेटी बहू बनने का

सौभाग्य मिलना था 

मिला क्या 

भ्रूण हत्या 

संसार में अगर आती बेटी बन

दो-दो घरों का उजाला बनती 

अब रह गई एक स्मारक बन।



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