निज जीवन सुखी बनाएं
निज जीवन सुखी बनाएं
रखें हम निज शांत स्वभाव,
अनावश्यक मत लेवें तनाव।
सुखी तब ही तो रह पाएगी,
जिंदगी तब ही तो आपकी।
पवित्र होवें आपके सब कर्म ,
निभाएं हम अपने सारे धर्म,
चरित्र में जगह हो न पाप की।
सुखी तब ही तो रह पाएगी,
जिंदगी तब ही तो आपकी।
लोगों की कोई करनी न चिंता,
कुछ न कुछ तो कहेंगे हर हाल।
भौंकते श्वान अक्सर हैं रहते,
गजराज करते न कोई मलाल।
लोग चिंतित जो अक्सर हैं रहते,
गम तनावों के बहुधा हैं सहते।
जो रहते हैं शांत वे न होते क्लांत,
जिंदगी जीते हैं बड़ी ही टाप की।
सुखी तब ही तो रह पाएगी,
जिंदगी तब ही तो आपकी।
तारीफ सुन फूल कुप्पा न होवें,
निंदा सुन भी न ज्यादा लजाएं।
कहा तुमको सुनो ध्यान वह,
सुधार नीति समझ से बनाएं।
धूर्त- मुख पर न ताला लगेगा
बुद्धि इस पर न ज्यादा खपाएं।
शुभ चिंतकों से लेकर सलाह,
हम खुद ही चुनें अपनी राह,
बात कुछ भी न है संताप की।
सुखी तब ही तो रह पाएगी,
जिंदगी तब ही तो आपकी।