हमारे बुजुर्ग -हमारी जिम्मेदारी
हमारे बुजुर्ग -हमारी जिम्मेदारी
आज ज़रा से ग्रसित जो बड़े हैं हमारे,
बचपन में हम जिनकी आंखों के थे तारे।
जिनकी उंगली पकड़ चलना सीखा हमने,
कभी हों न बेसहारे हुए जग में जीते हमारे।
सारे जीवन जो सीखा कुछ दिनों में सिखाया,
धीरज संग नियोजन साहस संभलना सिखाया,
जीवन पथ आलोकित करने दीपक स्वयं जल,
खुद झेले झमेले जग के हमें सदा उनसे बचाया।
हम कल थे जिनके सहारे आज बनें उनका सहारा,
मिला हर अधिकार जिनसे निभाएं कर्त्तव्य हमारा।
मनाने को मौज़ कमाने को धन समय मिलेगा मगर,
सेवा में चूके तो जीवन ये पल न मिल सकेंगे दुबारा।
