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Prema Halsi

Abstract

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Prema Halsi

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ओ धरती मां ‌

ओ धरती मां ‌

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देख धरा की हरियाली,

मन मेरा मुस्काता है।

खिले हुए फूलों को देख,

तन मेरा खिल जाता है।।


विविध रंग के फूल खिले,

‌ उन पर मंडरातेेे तितली मक्खी और भंवरे।    ‌‌‌‌‌‌‌

देखो झूम- झूम लहराते ,

 पौधे ,बेल-लता और पेड़ हरे- हरे।।


भिन-भिन, गुनगुन करते-करते,

ले पराग उड़ जाते हैं।

उनके आने से ही तो फिर,

नये फूल नित खिल पाते हैं।।


इनसे ही तो बगिया है महकी ,

 बागों में चिड़िया है चहकी ।

मन मेरा पुलकित हो गाता,

हुई मदहोश जैसेेे मैं बहकी।।


हरी- हरी फसल लहराए,

जैसे कोई आंचल फहराए।

छांव में अपने हरदम रखना,

ध्यान मेरा तुम हर -पल रखना।।


ओ धरती मां......

ओ धरती मां......।


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