स्वप्न
स्वप्न
ऐसा एक स्वप्न है मेरा,
मैने देखी है इक ऐसी दुनिया।
जहाँ हो मेरा घर आँगन मेरा,
फूल, पेड़ बाग और बगिया।।
फूलों से लहराए पौधे ,
फलों से लद जाये पेड़।
खुशबू से महके घर अंगन,
खेतों में हरियाली भर जाएं।।
रंग-बिरंगी तितली झूमें ,
हर-तरह की चिड़ियाँ चहके।
भवरे बागों में गुजाएं,
जो हर जन के मन को भाएँ "
घर आंगन में बच्चे खेले ,
बड़े-बूढ़े में हँसी ठिठोली।
ना कोई झगड़ा ना दुख हो,
हर कोई सबको प्यारा'।।
ऐसा एक स्वप्न है मेरा।
ऐसा एक स्वप्न है मेरा।
