माँ
माँ
माँ की दुआ मानो वरदान,
बदल देती है तकदीर।
पुस्तकीय ज्ञान भले ही ना हो,
किंतु पढ़ लेती है जैसे मुखबिर।
मां से छोटा शब्द ना कोई है,
ना उससे बड़ा है कोई,
एक हाथ से थप्पड़ खाई है,
दूसरे से रोटी है खाई।
लिखो मैं जब तक नाम 'माँ'
चारों धाम हो गए कहे कलम,
परमात्मा क्यों ढूंढे? मां की पूजा करो
क्योंकि भगवान को भी जन्म देती है माँ।
चांद जैसा तु 'माँ' के नाम मैं,
और बिंदु सा लेटा हुआ हूं मैं,
मांग लूं में मन्नत यही मिले,
फिर यही माँ मुझे मिले।
