राज दुलारी सी रखती है माँ...!
राज दुलारी सी रखती है माँ...!
पुचकारती दुलराती लाड लडाती है,
हँसती रोती लोरी गुनगुनाती रहती है..!
कृष्ण राम, राधिका, जनक दुलारी बनाकर
माँ देवकी, यशोदा कौशल्या सी बन जाती है माँ...
ता-उम्र हमारे लिए भागती दुःख उठाती है
वो प्यारी माँ हमारी, हमें हर राजसी ठाठ देती है।
