Aishani Aishani
Tragedy
कुछ टूटे फूटे
कुछ अधूरे
अक्षर निर्मित शब्द
भेज रही हूँ
तुम्हारे पास
इन्हें जोड़कर
अपनी इबादत के लिए
इक महल बनवा लेना
क्यूँकि...
वो तुमको पसंद है
वो
मैं हूँ नहीं
और..
जो मैं हूँ
वो तुमको...! ¡
रूप का चाँद.....
लिखना चाहती ह...
भूल गई हूँ..!...
धारा के विरुद...
तुम्हारी पसन्...
शिखर..!
सुनो राम..!
उसने ख़ुद को ...
नहीं बदलूँगी....
तुम बिन..!
जतन कोई बता दो तुम मिलोगे कैसे या मेरे प्राण निकलेंगे तेरी विरह में वैसे जतन कोई बता दो तुम मिलोगे कैसे या मेरे प्राण निकलेंगे तेरी विरह में वैसे
पानी के बदले मनुष्यों का ताजा खून बह रहा है। पानी के बदले मनुष्यों का ताजा खून बह रहा है।
हंसी खुशी बिना दहेज बेटी मंडप विदा तो कारो। हंसी खुशी बिना दहेज बेटी मंडप विदा तो कारो।
गुलज़ार रहे ये चमन, सब हक भुला दिया। गुलज़ार रहे ये चमन, सब हक भुला दिया।
औने-पौने दाम में प्रायः, अनाज बेचता है किसान। फटी जेब हरदम रहे, चेहरे पर झुर्रियों के निशान।। औने-पौने दाम में प्रायः, अनाज बेचता है किसान। फटी जेब हरदम रहे, चेहरे पर झुर्...
सुबह से शाम आई, यादों को साथ लाई, हमने अपनी किस्मत खाली पाई, फिर भी हमने दवा-ए-इश्क़ खाई। सुबह से शाम आई, यादों को साथ लाई, हमने अपनी किस्मत खाली पाई, फिर भी हमने दवा-...
गुस्से से वो भर गयी डांटती रही घंटा भर फटी जेब शर्मिंदा कर गयी। गुस्से से वो भर गयी डांटती रही घंटा भर फटी जेब शर्मिंदा कर गयी।
जब उदास होती हूँ मैं आंसू पोछने तुम आती हो, जब उलझन होती है कोई , तुम ही हल सुझाती जब उदास होती हूँ मैं आंसू पोछने तुम आती हो, जब उलझन होती है कोई , तुम ...
इक़ तरफ़ा प्यार की सजा बस इतनी है ख़ुद को आग के दरिया में डुबोना है... यहीं होता है ना एेसे प्यार म... इक़ तरफ़ा प्यार की सजा बस इतनी है ख़ुद को आग के दरिया में डुबोना है... यहीं होत...
ना जाने अब फिर कब मुलाकात हो, इस वक्त को मैं कैसे थामू? आप मुझसे प्यार करे ना करे , मैं तो बस आ... ना जाने अब फिर कब मुलाकात हो, इस वक्त को मैं कैसे थामू? आप मुझसे प्यार करे न...
नई आशा की सुबह के इंतजार में वह जी रहा है। नई आशा की सुबह के इंतजार में वह जी रहा है।
किस जेब में रखता आदमी पैसा अर्थव्यवस्था की जेब को ही फटा पाता। किस जेब में रखता आदमी पैसा अर्थव्यवस्था की जेब को ही फटा पाता।
सर्व सुख भोग कर उन्नति हम कर रहे आनंदित हो रहे और वो वहाँ खड़े दुख उठा रहे सर्व सुख भोग कर उन्नति हम कर रहे आनंदित हो रहे और वो वहाँ खड़े दुख...
लकड़ी को लक्ष्मी, देवी कह कर पूजा तो जाता है। लकड़ी को लक्ष्मी, देवी कह कर पूजा तो जाता है।
अचानक खड़ी हो निकलती है जब आँखों में लज्जा की सृष्टि लिए अचानक खड़ी हो निकलती है जब आँखों में लज्जा की सृष्टि लिए
जनाज़े में अभी वक्त था थोड़ा कफन तैयार न था। चलो कुछ और देर गुफ्तगू जिन्दगी से कर लेते है। जनाज़े में अभी वक्त था थोड़ा कफन तैयार न था। चलो कुछ और देर गुफ्तगू जिन...
खो गयी इन्सानियत.. झुठला गयी है रिश्ते सब... भूख इन्सानियत, फर्ज, प्रेम पर भारी है... आज देखो ज... खो गयी इन्सानियत.. झुठला गयी है रिश्ते सब... भूख इन्सानियत, फर्ज, प्रेम पर भा...
बिन फेरों से बॅंधा हुआ जोडा समाज को नामंजूर होता है... बिन फेरों से बॅंधा हुआ जोडा समाज को नामंजूर होता है...
किसी रोज़ सोच रहा हूँ मैं भेजूं एक खत! बस तब तक तू ये नाम भूलना मत!! और वजह खत की मत लेना त... किसी रोज़ सोच रहा हूँ मैं भेजूं एक खत! बस तब तक तू ये नाम भूलना मत!! और...
तु घी की परत में महकता गया तु घी की परत में महकता गया