समुन्दर हूँ मैं
समुन्दर हूँ मैं
अनगिनत भावनाओं का समुन्दर हूं मैं
जो चाहते हो चलो ढूँढ लो तुम।
कहीं बिखरे पडे़ होगें खूबसूरत ख्याब रंगो भरे
कहीं पल रहे होगें साथ तेरे देखे स्वप्न ,पलकों तले
कहीं चुपके से मुस्करा रहे होगें दिल के अरमान
कहीं हंसता सा मिलेगा मेरी खुशियों का जहान
कहीं खिलखिलाहट की बदरी नजर आयेगी
कहीं सच्ची वाली मुस्कराहट निखरी नजर आयेगी।
थोडा़ सा और आगे बढ़ जाना तुम
जीवन के कुछ और पन्ने ढूंढ लाना तुम
किसी पत्थर तले रौदें पडे़ होगें कुछ ख़्वाब भी
मिल जायेगी कहीं आंसुओं की बौछार भी
दर्द सिमटा सा पडा़ होगा किसी कोने में कहीं
उदासी सुबकी सी बैठी होगी तुम ढूँढना वहीं
बुझी बुझी नजरें टिकी होगीं किसी तस्वीर पर
रूठा रूठा सा मन भी मिलेगा तुम्हें तकदीर पर
जितना गहराई में चलते जाओगे
उतना मुझसे रूबरू होते जाओगे।
अनगिनत भावों का समुन्दर हूं मैं
जो चाहते हो चलो ढूंढ़ लो तुम।