एक्सल
एक्सल
नौकरी में,
जिंदगी भी साली,
एक्सल पर,करते काम।
एक्सल जैसे हो गई।
ना जाने,
खुद को प्रेजेन्ट करने।
कितने कॉलम ,
और रेखाओं, को जोड़ते।
रखते हमेशा अपडेट,
बॉस को समझने,
बॉस को समझाने ।
पाँवर पाँइंट की स्लाईड जैसे।
सोचते हमेशा नौकरी में,
नौकरी सही या धंदा ।
करते रहते,स्लाईड को,
उपर से नीचे ।
लगाते रहते फार्मुला,
जिंदगी की लाइन में।
आने वाले पगार का।
जोडते घटाते कॉलम,
आने वाला खर्चा देखकर।
एक्सल शीट का,
देखकर हेडिंग ।
सोचते और क्या ..
कर सकते ?
पैसा कमाने...
लेकिन ड़रते ।
हायलाईट किये,
कॉलम की तरह।
नौकरी जाने के ड़र से।
होते हैं खुश कभी,
प्रमोशन या इन्क्रिमेंट पाकर।
जैसे लगता हैं,
खुश हुवा बॉस ।
भेजी हुई रिपोर्ट देखकर ।
दिखती कभी बॉस की,
मस्तक की रेखा,
करप्ट हुई फाईल सी ।
????$$$???@@%
मुझे देखकर..
सोचता हूं,
कर दूं डिलिट सब..
लेकिन,इक्वल टू,
बताता हैं बॉस भी तो!
अपने जैसा ही है ।
खयाल आते ही,
अपने जैसा,
निकलता हूं,
कोट पहनकर,
टाई लगाकर ऑफिस।
दूसरी फाईल खोलने ।
छिपाकर भावनाओं को,
एक फोल्डर के अंदर।