वेटींग टिकट
वेटींग टिकट
रेलवे स्टेशन पर,
लंबी कतार में ।
नंबर आने के बाद ।
मिलता जब वेटींग टिकट ।
ले लेते हम बडी आशा से,
हो जाएगा कन्फर्म अंत में ।
देखते रहते, प्रतिदिन स्थिति,
अपने पीएनआर की।
मन ही मन खुश होते,
एक एक नंबर कम होते देख।
बदलती खुशी मायूसी में,
होता हैं चार्ट प्रीपर्ड ।
हम लटकते वेटींग में ।
मन को ,
फिर समझाते एक बार ।
टीटीई से करेंगे कुछ जुगाड़ ।
लेकर हाथ में टिकट,
खडे होते पॅसेज में ।
टीटीई का इंतजार करते ।
बेवजह की मुस्कराहट,
अंदर से चिड़चिड़ाहट ।
शुरु रहता प्रवास ।
बाथरुम जाने वाले,
फेरीवालों के,
धक्कों के साथ ।
भूलकर अपना रुतबा,
भागते हैं टीटीई पीछे ।
झटकारता ह्रै वह,
किसी अस्पृश्य की तरह ।
खडे होते, फिर अपनी जगह ।
बगुले सी आँखें मुंदकर ।
खत्म होता प्रवास ।
कन्फर्म के इंतजार में ।
सुर्ख आँखों से,
थके हुए दर्द बदन से ।
बहुत कुछ सिखा देता,
वेटींग का प्रवास,
अपने जीवन में ।