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Pradeep Sahare

Inspirational

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Pradeep Sahare

Inspirational

आस्था

आस्था

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आस्था के बवंडर में,

क्या आम, क्या खास ।

किसी तरह,

मिले भगवान ,

यही उसका प्रयास ।

प्रयास में,

नहीं रखता कुछ कमी ।

पता है उसे,

मंदिर का पूजारी ।

झटके से पुजा ,

खींचेंगा हाथ से,

गार्ड बजाएंगा शिटी ।

देगा धक्का या ...

लगाएंगा आवाज,

"आगे बढो,आगे बढो की .. "

फिर भी वह,

पहुंचता मंदिर ।

स्वेच्छा का नाम देकर ।

उँची उँची पहाडी चढ़कर ,

लंबी लाईन में,

घंटो खड़ा रहकर ।

होता हैं उत्साहित,

दरबार में रखी,

छोटी सी मूर्ति का ।

छोटासा चेहरा ,

छोटेसे कोने का,

दर्शन पाकर ।

करता हैं जयकारा,

समस्त शरीर की,

उर्जा जीभा पर लाकर ।

होता प्रसन्न, होता हैं धन्य ।

शिकायत होती हैं,

व्यवस्था से उसे ।

लेकिन भगवान से नहीं ।

क्योंकि,

कल पड़ना हैं,

उसी से उसका वास्ता . . .

और यही हैं ,

आस्था ...



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