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Ratna Kaul Bhardwaj

Inspirational

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Ratna Kaul Bhardwaj

Inspirational

मैं और मेरा मन

मैं और मेरा मन

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जोड़ कर अक्षर एक एक

मन के भाव लिखती हूं

जुड़े हुए इन अक्षरों में

दिल के राज पड़ती हूं


दबे राज़ अंतरात्मा के

बाहर आने को तड़पते हैं

छुपे रहें ये कोई पड़ न पाएं

मैं लाख कोशिश करती हूं


मन को तसल्ली देती हूं

कि कर्म कभी बदलते नहीं

पर विचारों के कशमकश में

बस कुछ शब्द उकेर देती हूं


न भाषा जानूँ न ही कोई विधि

इन सबसे दूर थी मैं बहुत

इक चिंगारी मन में आ बैठी

उंगलियां अब थिरकती रहती हैं


मेरे विचारों का हजूम

अक्सर मुझसे करते सवाल

यह शैली तेरी नई नई

क्या मायने कोई रखती है


बोलती हूं ए मेरे दोस्तो

नहीं चाहिए ख्याति या धन

बस आत्मा मेरी हंसती रहे

मैं मन की खुशी चाहती हूं......



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