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Ratna Kaul Bhardwaj

Classics Inspirational

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Ratna Kaul Bhardwaj

Classics Inspirational

एक लम्हा तल्लखी भरा

एक लम्हा तल्लखी भरा

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कभी हमसे सहारे की बात करो
डूबते हुए से किनारे की बात करो

 "मैं मैं" की रट से पशेमान है कायनात
कभी बैठ कर "हमारे" की बात करो

 मुद्दतों से जुदा जुदा गुज़री है जिंदगी
साल अकेले कैसे गुज़ारे की बात करो

 वह एक लम्हा था तल्खी से भरा
फिर उस एक इशारे की बात करो

 छोड़ के गुरूर, आज जिंदा हो जाते हैं
 अल्हड़पन के उस पिटारे की बात करो


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