जीवन के बाद
जीवन के बाद
जीवन के बाद भी जीवन है
जीवन का उत्सव जीवन है
सब हरा-भरा सा लगता है
जंगल भी जैसे मधुबन है।।
इक जीवन पूरा होता है
पूरा होते भी रोता है
हर बार अधूरापन लगता
पूरा करना भी जीवन है।।
ख्वाहिशें बनी ही रहती हैं
अगले जन्मों तक पलती हैं
पूरी हो जातीं कभी कही
पूर्णाहुति ही मन रंजन है ।।
चौरासी लाख योनियाँ हैं
जन्मों की अलग श्रेणियाँ हैं
कर्मों का फल सबको मिलता
सत्कर्म सदा ही सुदर्शन है।।
आत्मोन्नति का अभ्यास करें
बन आत्मदीप विश्वास भरें
आकाशदीप जलता ही रहे
ज्योतित मन ही ‘उदारॉंगन’ है।।