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DURGA SINHA

Inspirational

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DURGA SINHA

Inspirational

परिवार

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मुस्कुराहटों में मैंने, ज़िन्दगी गुज़ार दी

कितने मुफ़लिसों की यूँ ही, ज़िन्दगी सँवार दी।।


क़द से और पद से,कोई भी बड़ा नहीं हुआ

छोटा रह के  छोटी सी ये,उम्र भी गुज़ार दी।।


 मुस्कुराइए कि आप, ख़ुशनुमॉं नज़ीर हैं

बन गई कबीर,अपनी ज़िन्दगी सँवार दी।।


राहतें बढ़ा दीं अपनी चाहतों को कम किया

जलाया माटी का दिया,ज़िन्दगी निखार दी।।


मुझमें-तुममे और उनमें , फ़र्क न मुझको दिखा 

एक सी थी ज़िन्दगी,एक सी बयार दी।।


सबके रास्ते अलग हैं,मंज़िलें तो एक हैं

अपनी -अपनी राह चल के,सबने राह पार की।।


किसलिए शिकायतें, ख़ुदा से ईश से करें

उसने मन्नतें,मुरादें,रहमतें अपार दीं।।


आप हैं जहाँ वहीं से, कुछ कमाल कीजिए

सब में उस प्रभू ने,ख़ास शक्ति बेशुमार दी ।।


आइए जहाँ को अपने साथ ले के बढ़ चलें

उसने तो ‘ उदार ‘,मीठी नेमतें हज़ार दीं ।।



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