ख्वाब
ख्वाब
तुम ही तुम हो तुम्हीं तो, मेरा ख़्वाब हो
तुमको मेरा नमन, तुमको आदाब हो।।
तुम मेरे दिल में हो, मेरी जाने जिगर
तुमसे दुनिया मेरी,तुम भी आबाद हो।।
सारे अरमान तुम संग ही, पूरे किए
मेरे मन में चमकता सा, माहताब हो।।
तुम उजाला लिए, दीप की रौशनी
जुगनुओं से चमकता,मेरा ताब हो।।
मन ‘ उदार’ को सँभाला, सँभलता नहीं
सामने मेरे साकार, जब ख़्वाब हो।।

