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तुम भी तो इक ज़मीं हो,अम्बर न समझना जो लेखनी चलाते सुखनवर नहीं हो तुम।। तुम भी तो इक ज़मीं हो,अम्बर न समझना जो लेखनी चलाते सुखनवर नहीं हो तुम।।
ख़त में लिखता तो हूँ, इज़हार करूँ या न करूँ।। ख़त में लिखता तो हूँ, इज़हार करूँ या न करूँ।।
मन ‘ उदार’ को सँभाला, सँभलता नहीं सामने मेरे साकार, जब ख़्वाब हो।। मन ‘ उदार’ को सँभाला, सँभलता नहीं सामने मेरे साकार, जब ख़्वाब हो।।
तुम उदार’मन कर लो अपना अब मिठास मन में घोलो।। तुम उदार’मन कर लो अपना अब मिठास मन में घोलो।।
अगर अलग कथनी-करनी से, बाज़ न अब भी आएगा।। अगर अलग कथनी-करनी से, बाज़ न अब भी आएगा।।
है ‘ उदार ‘ दौलत यही, जीवन की मानव की दोस्ती का रंग यहाँ, हर पल रुपहरा है।। है ‘ उदार ‘ दौलत यही, जीवन की मानव की दोस्ती का रंग यहाँ, हर पल रुपहरा है।।
चल ‘उदार’, लौट अब चलें घर को कौन ऐसे जहॉं में, रह चल ‘उदार’, लौट अब चलें घर को कौन ऐसे जहॉं में, रह
मुस्कुराहटों में मैंने, ज़िन्दगी गुज़ार दी कितने मुफ़लिसों की यूँ ,ज़िन्दगी सँवार दी। मुस्कुराहटों में मैंने, ज़िन्दगी गुज़ार दी कितने मुफ़लिसों की यूँ ,ज़िन्दगी स...
चल ‘उदार’,लौट अब चलें घर को कौन ऐसे जहॉं में, रहता है।। चल ‘उदार’,लौट अब चलें घर को कौन ऐसे जहॉं में, रहता है।।
भारत की तस्वीर बनाना है ख़ुद की ही तकदीर सजाना है।। भारत की तस्वीर बनाना है ख़ुद की ही तकदीर सजाना है।।