स्वतंत्रता
स्वतंत्रता
सबका हो सम्मान
हिन्दू-मुस्लिम,-ईसाई भाई-भाई हैं बोलो
भारत के भाईचारे की,है सच्चाई को सब तोलो।।
धर्म-जाति में हमें न बाँटो,अपना कोई वैर नहीं
अपने-अपने धर्मों में,अपने भगवानों को खोजो।।
राजनीति के दल-दल में,फँसी यहाँ मानवता है
चाहे या न चाहे जनता,बस विरोध में ही बोलो।
तीज और त्यौहार सभी के, जीवन मूल्य सिखाते हैं
ईद मुब
ारक तभी कहेंगे ,राम-राम तुम भी बोलो ।।
सर्वधर्म समभाव की भाषा ,अब सबको सिखलाना है
सबका हो सम्मान बराबर, ऊँच-नीच में मत तोलो।।
भारत की भूमि स्वर्णिम है,स्वर्ग धरा यह धरती पर
भाँति-भाँति की भाषा-भूषा, विविधता में तुम खेलो।।
ईर्ष्या-द्वेष, वैर और नफ़रत, जीवन में मत आने दो
तुम उदार’मन कर लो अपना अब मिठास मन में घोलो।।