दोस्ती (शाखा से पत्तों का रिश्ता)
दोस्ती (शाखा से पत्तों का रिश्ता)
शाख़ से पत्तों का रिश्ता कितना गहरा है
वक़्त मौसम संग, मानो ख़ुद ही ठहरा है।।
है हवा की शोख़ियाँ, पतझड़ के मौसम की
आसमाँ नीला बहुत, सागर से गहरा है।।
गुनगुनाती धूप है, बदरूद्दीन री है बारिश है
ऐसा लगता है कि मानो, आज पहरा है।।
इन्द्रधनुषी रंग का, सूरज है पूरब में
डूबता सूरज सदा, दिखता सुनहरा है।।
पंछियों की चहचहाहट, गूँजती रहती
पढ़ रहा मानो, कोई बच्चा ककहरा है।।
है ‘ उदार ‘ दौलत यही, जीवन की मानव की
दोस्ती का रंग यहाँ, हर पल रुपहरा है।।
