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RAJNI SHARMA

Inspirational

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RAJNI SHARMA

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कर्मों का लेखा

कर्मों का लेखा

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राजा रंक सब अपने-अपने कर्मों के अधिकारी,

कर्मफल मिट सके ना, जाने है सब संसारी,

पागल मनवा समझे है तू...कर्मों की लाचारी,    

बोए पेड़ बबूल के, तो कैसे पाएगा फुलवारी।।        


इतिहास गवाह है, गीता पोथी का है सब सार,

धर्म युद्धिष्ठिर को भी प्राप्त हुआ था कर्मफल,

एक-एक ने चखा था.. जस तस का परिणाम,

चित्रगुप्त खाते से प्राप्त होगा सब कर्मों का द्वार।।


सम्भल जा! समझ जा! जिन खातिर घड़े भरे,

छोड़कर चल देंगे तन्हा, रह जाएगा खड़े-खड़े,

मिलता है ये जीवन कुछ सत्कर्म कर जाने को,

जन्म मिला है पाप-पुण्य के अंतर समझाने को।।


कपट आडंबर की आँधी को अब.... चीरकर, 

ज्ञान कपाट के खोलकर निज चक्षु के... .द्वार,   

परमार्थ के कर्मफल से ही मिल पाएगा सम्मान,   

बन मानव हितैषी और बन जा! बेहतर इंसान।।



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